संदेश

जून, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अन्य छः द्वीपों और लोकालोक/20

 अन्य छः द्वीपों और लोकालोक पर्वत का वर्णन

किम पुरुष और भारत वर्ष का वर्णन 19

भिन्न भिन्न वर्षो का वर्णन 18

गंगा का वर्णन, संकर्षण देव17

 गंगा का वर्णन, शंकर कृत संकर्षण देव की स्तुति।

भु वन कोश का वर्णन 16

भ वा ट वी स्पष्टीकरण 14

स्पष्टी करण   पुरुष बहुतसा कष्टउठाकर जो धन कमाता है,उसका उपयोग धर्ममें होना चाहिए; वही धर्म यदि साक्षात भगवान परम-पुरुषकी आराधनाके रूपमें होता है तो उसे परलोकमें निःश्रेयशका हेतु बतलाया गया है। किंतु जिस मनुष्य का बुद्धि रूप सारथी विवेक हीन होता है और मन वश में नहीं होता, उसके उस धर्म उपयोगी धन को यह मनसहित छः इंद्रियां देखना, स्पर्श करना, सुनना, स्वाद लेना, सूंघना, संकल्प-विकल्प करना और निश्चय करना-इन वृत्तियों के द्वारा गृहस्थोचित विषय भोगों में फंसा कर उसी प्रकार लूट लेती है,जिस प्रकार बेईमान मुखिया का अनुगमन करने वाले एवम् असावधान बंजारों के दल का धन चोर डाकू लूट ले जाते हैं।2 यह ही नहीं, इस संसार वन में रहने वाले उसके कुटुंबी भी-जो नाम से तो स्त्री-पुत्र आदि कहे जाते हैं, किंतु कर्म जिनके साक्षात भेड़ियों और गीदड़ो के समान होते हैं-उस अर्थ लोलुप कुटुंबीके धनको उसकी इच्छा नहीं रहनेपर भी उसके देखते-देखते इस प्रकार छीन ले जाते हैं,जैसे भेड़िए गडरियोंसे सुरक्षित भेड़ोंको उठा ले जाते हैं।3।

भरत वंश का वर्णन 15